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09:50, 26 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=हरियाणवी
}}
<poem>
ओ म्हारे नाथ सुण मेरी बात
या चन्द्रकिरण जोगी तनै
तन मन धन तै चाह्वै सै
नीच्चे नें कमंद लटका दी चढ़ ज्या
क्यों वार लगावै सै<br>
मनै साँची साँची बात बता दी
न्यूँ दिल में धर ल्यूँ
ओ नये नाथ तनै वर ल्यूँ
मैं तेरे तै गंधर्व ब्याह कर ल्यूँ
मेरे जी में आवै सै
नीच्चे नें कमंद लटका दी चढ़ ज्या
क्यों वार लगावै सै...
</poem>