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मेरी मिट्टी में / ओएनवी कुरुप
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04:23, 4 मई 2011
कौनसी गाय के गले में
प्यास काँटा बन रही है ?
केवडों
केवड़ों
के हाथों में
नुकीले नाख़ून हैं ।
'''मूल मलयालम से अनुवाद : संतोष अलेक्स'''
</poem>
अनिल जनविजय
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