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जीवन व्यर्थ गँवाया / महेश चंद्र पुनेठा
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05:24, 4 मई 2011
तपते को हवा
बेघर का घर
जरूरतमंद
ज़रूरतमंद
का धन
लुटे-पिटे का ढाढ़स
बिछुड़ते का राग
अनिल जनविजय
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