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04:11, 11 जून 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
}}
:'''लछिमा का गीत'''
:::छितवन की,
छितवन की ओट तलैया रे,
:::छितवन की!
जल नील-नवल,
शीतल, निर्मल,
जल-तल पर सोन चिरैया रै,
:::छितवन की,
छितवन की ओट तलैया रे,
:::छितवन की!
सित-रक्त कमल
झलमल-झलमल
दल पर मोती चमकैया रे,
:::छितवन की,
छितवन की ओट तलैया रे,
:::छितवन की!
दर्पण इनमें,
बिंबित जिनमें
रवि-शि-कर गगन-तरैया रे,
:::छितवन की,
छितवन की ओट तलैया रे,
:::छितवन की!
::जल में हलचर,
::कलकल, छलछल
झंकृत कंगन
झंकृत पायल,
पहुँचे जल-खेल-खेलैया रे,
:::छितवन की,
छितवन की ओट तलैया रे,
:::छितवन की!
::साँवर, मुझको
::भी जाने दे
पोखर में कूद
नहाने दे;
लूँ तेरी सात बलैया रे,
:::छितवन की,
छितवन की ओट तलैया रे,
:::छितवन की!