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00:11, 15 जून 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= विनोद स्वामी
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>सींव ऊपरलो सरकणो
का’ल गळगळो हो’र बोल्यो-
म्हैं
भारी ईं बात खातर कोनी दी कै
बा तेरा खोज ढो’वै,
ईं बात नै ले’र देख
म्हैं सूक्यो खड़्यो हूं।
</poem>