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00:13, 15 जून 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= विनोद स्वामी
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>जांटी रै पेडै चढती
तोरूं री बेल,
आपणै प्यार नै
समझ बैठी खेल।
देखा देखी आपणै
उळझ बैठी
जंटियै में।
</poem>