[[जंगल का गीत / {{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’'हिमांशु'}}[[Category:बाल-कविताएँ]] <br>
{{ KKGlobal }}'''जंगल का गीत'''<br> [[रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]] <br> [[बाल-कविताएँ]] <br> [[रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]] <br> ~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~ {{ KKGlobal }}<br> ठुमक- ठुमककर भालू नाचे <br>
बन्दर बैठा पोथी बाँचे ।<br>
माथा पकड़-पकड़ कुछ रोए ।<br>
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[[बन्दर अफ़लातून / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]] <br>
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[[रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]] <br>
[[बाल-कविताएँ]] <br>
[[रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]] <br>
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'''बन्दर अफ़लातून'''<br>
पा गए <br>
बन गए अफ़लातून ।<br>
बोले-<br>
भले जितनी ठण्ड हो<br>
लगती मुझको बहुत भली ।<br>
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[[नटखट बन्दर / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]] <br>
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[[रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]] <br>
[[बाल-कविताएँ]] <br>
[[रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]] <br>
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'''नटखट बन्दर'''<br>
ऊँची पढ़कर गया पढ़ाई <br>
जब धोखे से<br>
कालबेल थी तेज़ बजाई ।<br>
नटखट चौंका-<br>
आऊँगा फिर हफ़्ते भर में।’<br>
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