Changes

ऊम्र भर याद हो बचपन की, ज़रूरी तो नहीं
प्यार करने का उसे हक हक़ तो सभी का सभीका है मगर
प्यार बदले में करे वह भी, ज़रूरी तो नहीं
जानता भी हो इसे कोई, ज़रूरी तो नहीं
वक्त वक़्त मिलता नहीं मिलने का तुम्हें, सच है, मगर बस यही एक हो मज़बूरीमजबूरी, ज़रूरी तो नहीं
कहा गुलाब से मिलने को तो हंसकर हँसकर बोला,
'आख़िरी रात हो यह उसकी, ज़रूरी तो नहीं '
<poem>
2,913
edits