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चँहकि चकोर उठे, सोर करि भौंर उठे / शृंगार-लतिका / द्विज
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02:15, 29 जून 2011
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'मनहरन घनाक्षरी'''
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(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)
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चहँकि चकोर उठे, सोर करि भौंर उठे, बोलि ठौर-ठौर उठे कोकिल सुहावने ।
Himanshu
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