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कोई भले ही बढ़के गले से लगा न हो / गुलाब खंडेलवाल
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19:23, 30 जून 2011
शायद लिखा हो आपने शायद लिखा न हो
काँटों से यों न जाइए आँचल
छुडाके
छुड़ाके
आज
रुकिए कि एक गुलाब भी उनमें खिला न हो
<poem>
Vibhajhalani
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