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सुनते नहीं हैं पाँव की आहट कहीं से हम / गुलाब खंडेलवाल
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22:39, 3 जुलाई 2011
फिर से शुरू करेंगे कहानी वहीं से हम
कहते हो जिसको प्यार,
खुमारी
ख़ुमारी
थी नींद की
सपना चुराके लाये थे कोई कहीं से हम
Vibhajhalani
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