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00:41, 6 जुलाई 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=द्विज
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|पीछे=श्री राधा की कबहुँ हरि / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=कौन कहाँ कौ राव / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 5
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<poem>
'''दोहा'''
''(कवि की स्वयं-प्रति उक्ति-वर्णन)''
या बिधि बहु-लीला रचैं, हरि-राधा ब्रज माह ।
ताहि बरनि ’द्विजदेव’ तुम, किन मैंटौ दुख-दाह ॥
</poem>