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00:51, 6 जुलाई 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=द्विज
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{{KKPageNavigation
|पीछे=चिंता और उछाह मैं / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=जैसी कछु कीन्ही द्विज-देव की बिनै के बस / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 5
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<poem>
'''दोहा'''
''(कवि प्रसन्नता-वर्णन)''
अति प्रसन्न गदगद गिरा, मुख सौं कढ़त न बात ।
बार-बार बिनती करी, जोरि सुकर-जलजात ॥५३॥
</poem>