गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes added
,
19:41, 7 जुलाई 2011
सिवा गुलाब के रंगत है किसकी लाल यहाँ!
बहुत हैं देखे
जलाए
जलाये
हुए, सताये हुए
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits