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बात ऐसी न सुनी थी किसी दीवाने में / गुलाब खंडेलवाल
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19:28, 8 जुलाई 2011
ख़ुद को रो-रोके पुकारा किया वीराने में
उड़ रही है तेरी आँखों की ही जो
खुशबू
ख़ुशबू
हर ओर
रंग कुछ और है नज़रों के ठहर जाने में
Vibhajhalani
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