गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
यों तो अनजान लगता रहे / गुलाब खंडेलवाल
No change in size
,
19:42, 8 जुलाई 2011
ख़ून का ही हमारे क़सूर
हाथ क्यों उनके
रंगता
रँगता
रहे
कोई आयेगा तड़के गुलाब!
दिल से कह दो कि जगता रहे
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits