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यों निगाहें थीं शरमा गयीं / गुलाब खंडेलवाल
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19:48, 8 जुलाई 2011
मछलियाँ जैसे बल खा गयीं
प्यार में मर भी
न
पाये
न
हम
याद बातें कई आ गयीं
Vibhajhalani
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