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आ गयी किस घाट पर यह नाव दिन ढलते हुए / गुलाब खंडेलवाल
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20:08, 8 जुलाई 2011
धार के साथी सभी मुँह फेर कर चलते हुए
तेरी आँखों से तेरे दिल का था कितना
फासला
फ़ासिला
!
पर यहाँ एक उम्र पूरी हो गयी चलते हुए
Vibhajhalani
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