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नहीं ख़त्म भी हो सफ़र चलते-चलते / गुलाब खंडेलवाल
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20:10, 9 जुलाई 2011
हुई चूक कोई अगर चलते-चलते
गुलाब
!
उनकी तुमने झलक भी न देखी
सुबह से हुई दोपहर चलते-चलते
<poem>
Vibhajhalani
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