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ख़्वाब समझें कि वाक़या समझें / गुलाब खंडेलवाल
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20:30, 9 जुलाई 2011
पूछा उनसे कि आप चुप क्यों हैं
हँस के
हँसके
बोले कि जो कहा, समझें
एक गर्दिश से दूसरी गर्दिश
Vibhajhalani
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