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और एक दिन निशि के सूनेपन में रूग्ण पिता के / द्वितीय सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
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20:35, 13 जुलाई 2011
और एक दिन निशि के सूनेपन में रूग्ण पिता के
चरणों पर रख पत्र एक, सूत बैठा शीश
झुका के
झुकाके
पत्र नहीं वह प्रथम पाठ था आत्म-शुद्धि के
तप
जप
का
जड़ीभूत हिम-से प्राणों पर लेपन शरदातप का
यज्ञ-कुंड था वह जिसमें कुल कल्मष दग्ध हुए थे
Vibhajhalani
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