गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
यह नूतन इतिहास आज कवि लिखने जिसे चला है / नवम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
No change in size
,
20:54, 13 जुलाई 2011
अति भीषण दुर्भिक्ष देख कर काँप रहा था खेड़ा
आवर्तों में ऊभ-
चुभ
चूभ
ज्यों काँप रहा हो बेड़ा
उस क्षण जिसकी वज्र-मुट्ठियों ने पतवार सँभाली
वह पटेल ही था अभिनव चाणक्य-सदृश बलशाली
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits