गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तुम कौन पिकी-सी रही बोल (दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes removed
,
21:27, 13 जुलाई 2011
कलियों में राग-मरंद भरा
हँसता कण-कण छल-छंद भरा
मेरा मानस
दुःख
दुख
-द्वंद्व-भरा
जगता पाटल-सा सिहर, डोल
Vibhajhalani
2,913
edits