566 bytes added,
21:04, 16 जुलाई 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=कस्तूरी कुंडल बसे / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: कविता]]
<poem>
लहर तीर पर पहुँचकर ख़ुशी से चिल्लायी, --
'मैं जीवन की बाज़ी जीत गयी,'
तभी सागर के तल से आवाज़ आयी--
'अब लौट भी आ,
तेरी अवधि बीत गयी!'
<poem>