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प्रिया को दे वियोग परिताप, / गुलाब खंडेलवाल
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19:11, 19 जुलाई 2011
प्रिया को दे वियोग परिताप,
कैसे मन माना कि कभी आये न पलटकर आप
!
एक क्रौंच खग का सुन क्रंदन
प्रिया को दे वियोग परिताप,
कैसे मन माना कि कभी आये न पलटकर आप
!
<poem>
Vibhajhalani
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