Changes

प्रिया को दे वियोग परिताप,
कैसे मन माना कि कभी आये न पलटकर आप !
 
एक क्रौंच खग का सुन क्रंदन
प्रिया को दे वियोग परिताप,
कैसे मन माना कि कभी आये न पलटकर आप !
<poem>
2,913
edits