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मैंने रात चैन से काटी/ गुलाब खंडेलवाल
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20:49, 19 जुलाई 2011
शब्दों में भर-भरकर सारी चिंता जग को बाँटी
सुख का
दुःख
दुख
, बल की दुर्बलता
देख सफलता की निष्फलता
जिनको पाकर भी कर मलता
Vibhajhalani
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