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आये कितने वीर, धरा का कर पल भर श्रृंगार चले
कितने ऐसे चले अमृतमय, ओरों को भी तार चले
धन्य जिन्होनें भव-विमुक्ति-हित कष्ट मरण का झेला है
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गाँव-गाँव में गाता कोई गाँधी का सन्देश चला
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