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यदि बचपन में बाँधी प्रेम की डोर / गुलाब खंडेलवाल
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20:54, 21 जुलाई 2011
अपने कठोर व्यवहार की कैंची से नहीं काट देते
तो अपने ज्ञान और वैराग्य की पूँजी भी
लोग
उन्हीं को
उन्हींको
बाँट देते.
<poem>
Vibhajhalani
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