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23:02, 21 जुलाई 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>डूब रहा मन
तिरता भी नहीं
तितीर्षा भी
नहीं जागी कभी
तलहटी में
खोजता क्या
जिन्दा रहने के लिए
कुछ शब्द
मधुरिम नाद
या
शब्दों के परे की
ध्वनियां
</poem>
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