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सदस्य:SARVESH MISHRA

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''' पलायन'''


गाँव में है चित्र मेरा, गाँव में चरित्र है |
गाँव में है सपने मेरे, गाँव में स्तित्व है |
गाँव में है अपने मेरे, गाँव तो पवित्र है ||

गाँव में मर्यादा है, शांति है गाँव में |
गाँव में ही श्रद्धा है, मेरी श्रव्या है गाँव में ||
गाँव में है जन्मभूमि, गाँव में ही कर्म है |
माता पिता है गाँव में, गाँव में सर्वधर्म है ||

गाँव में है ओक्सिजन, शहरों में कार्बन रहता है |
यहाँ मिलता शुद्ध पानी, वहां नाला बहता है |
जिसे अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं वही पलायन करता है ||