भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सदस्य:SARVESH MISHRA

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
                            पलायन


गाँव में है चित्र मेरा, गाँव में चरित्र है | गाँव में है सपने मेरे, गाँव में स्तित्व है | गाँव में है अपने मेरे, गाँव तो पवित्र है ||

                                     गाँव में मर्यादा है, शांति  है गाँव में |
                                    गाँव में ही श्रद्धा है, मेरी श्रव्या है गाँव में ||
                                    गाँव में है जन्मभूमि, गाँव में ही कर्म है |
                                    माता पिता है गाँव में, गाँव में सर्वधर्म है ||

गाँव में है ओक्सिजन, शहरों में कार्बन रहता है | यहाँ मिलता शुद्ध पानी, वहां नाला बहता है | जिसे अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं वही पलायन करता है ||