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मेरी आँखों में जब तक नमी है / गुलाब खंडेलवाल
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20:45, 11 अगस्त 2011
आदमी वह कोई आदमी है!
आज उन सुर्ख़
होंठों
होँठों
की फड़कन
एक अहम बात पर आ थमी है
प्यार कम तो नहीं है उधर भी
देखनेवाले
,
!
तुझमें कमी है
रंग अच्छा
,
गुलाब
!
आपका हो
रंग पर यह महज़ मौसमी है
<poem>
Vibhajhalani
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