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यों तो अनजान लगता रहे / गुलाब खंडेलवाल
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20:48, 11 अगस्त 2011
यों तो अनजान लगता रहे
प्यार
उस
भी
दिल में जगता रहे
कैसा दुश्मन कि सर काट ले
Vibhajhalani
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