1,856 bytes added,
07:23, 30 अगस्त 2011 क़लम के जादूगर!<br />
अच्छा है,<br />
आज आप नहीं हो|<br />
<br />
अगर होते,<br />
तो, बहुत दुखी होते|<br />
<br />
आप ने तो कहा था -<br />
कि, खलनायक तभी मरना चाहिए,<br />
जब,<br />
पाठक चीख चीख कर बोले,<br />
- मार - मार - मार इस कमीने को|<br />
<br />
पर,<br />
आज कल तो,<br />
खलनायक क्या?<br />
नायक-नायिकाओं को भी,<br />
जब चाहे ,<br />
तब,<br />
मार दिया जाता है|<br />
<br />
फिर जिंदा कर दिया जाता है|<br />
<br />
और फिर मार दिया जाता है|<br />
<br />
और फिर,<br />
जनता से पूछने का नाटक होता है-<br />
कि अब,<br />
इसे मरा रखा जाए?<br />
या जिंदा किया जाए?<br />
<br />
सच,<br />
आप की कमी,<br />
सदा खलेगी -<br />
हर उस इंसान को,<br />
जिसे -<br />
मुहब्बत है,<br />
साहित्य से,<br />
सपनों से,<br />
स्वप्नद्रष्टाओं,<br />
समाज से,<br />
पर समाज के तथाकथित सुधारकों से नहीं|<br />
<br />
हे कलम के सिपाही,<br />
आज के दिन -<br />
आपका सब से छोटा बालक,<br />
आप के चरणों में -<br />
अपने श्रद्धा सुमन,<br />
सादर समर्पित करता है|<br />