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वो ख़्वाब था बिखर गया, ख़याल था मिला नहीं / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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03:57, 16 सितम्बर 2011
कि तन से तन भी जुड़ गए क्यूं दिल से दिल जुड़ा नहीं
अजीब
जिंदगीं
जिंदगी
रही , जो रौशनी न पा सकी
लहू जिगर का भी दिया ,मगर दिया जला नहीं
Purshottam abbi "azer"
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