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लहू जिगर का भी दिया ,मगर दिया जला नहीं
पढ़ा जो खत सकूं मिला, लिखा था हाल-ए -दिल मेरा
जवाब में मैं क्या लिखूं ,यूँ खत कभी लिखा नहीं