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कामयाबी के भरोसे गिन रहा हूँ / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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04:37, 16 सितम्बर 2011
मैं तुम्हारे सब इशारे गिन रहा हूं
भीड
भीड़
में "आज़र" कहां गुम हो गए हो
लौटने के दिन तुम्हारे गिन रहा हूं
</Poem>
Purshottam abbi "azer"
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