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अगर तुम वही हो जो तस्वीर में हो / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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06:11, 16 सितम्बर 2011
मुक्द्दर किसी का न जंजीर में हो
लिखा
मैने
मैंने
खत हैं क्यूं उत्तर न आया जरुरी
नही
नहीं
उसकी तहरीर में हो
न पूछा किसी ने भी जिन्दे को पानी
बना मक्बरा उसकी तौकीर में हो
ये रौशन अगर
थोडी
थोड़ी
दुनिया है"आज़र"
तुझे क्या पता तेरी तन्वीर में हो
</Poem>
Purshottam abbi "azer"
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