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किसने ये हमको ख़्वाब में इतना डरा दिया / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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06:16, 16 सितम्बर 2011
हमने तो मन कि आग से दीपक जला दिया
अब
रहमतो
रहमतों
कि बात भी करना मुहाल है
जालिम ने नाम बस्ती में अपना लिखा दिया
Purshottam abbi "azer"
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