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सूरज उगा तो फ़ूल-सा, महका है कौन-कौन / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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,
11:25, 17 सितम्बर 2011
भीतर से अपने आप को ,जाना है कौन-कौन
लेने के सांस यों तो ,
गुनेहगार
गुनहेगार
हैं सभी
यह देखिए कि शहर में ,जिन्दा है कौन-कौन
Purshottam abbi "azer"
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