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बड़-बड़ बानी बोल कै, कागा मान घटाय।
कोऊ वाकै वाकौ यार है, 'आकुल' कोइ कोई बताय।।2।।
चि‍रजीवी की काकचेष्‍टा, जग ने करी बखान।
इंद्र पुत्र जयंत कूँ, एक आँख कौ दण्‍ड।।7।।
आमि‍ष भोजी कागला, कोई प्रीत बढ़ाय।
औघड़ सौ बन-बन घूमै, यूँ ही जीवन जाय।।8।।