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23:50, 14 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
}}
{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>जीत री छोड हारो तो सरी
आ मौज नुंवी मारो तो सरी
जग सूं कांई थे आवो परा
म्हांरा ऐढा सारो तो सरी
जाणै जिका ई जाणै मिठास
आंसू होवै खारो तो सरी
रात-रात कठै रैवै सूरज
लेवो इण रो लारो तो सरी
ऊंची डाळां पण फूल थांरो
एकर मन में धारो तो सरी
</poem>