{{KKRachna
|रचनाकार=विमलेश त्रिपाठी
|संग्रह= हम बचे रहेंगे. / विमलेश त्रिपाठी
}}
{{KKCatKavita}}
मैं खड़ा रहूँगा अनंत प्रकाश वर्षों की यात्रा में
वहीं उसी खिड़की के समीप
जहाँ से तुम्हारी स्याह ज़ुल्फों ज़ुल्फ़ों के मेघ दिखते हैं
हवा के साथ तैरते-चलते
चुप और बेआवाज़