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बुत हो गया फिर / नंदकिशोर आचार्य
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10:20, 1 दिसम्बर 2011
पत्थर क्या नींद से भी
ज्यादा पारदर्शी होता है
कि और भी साफ दिख जाता है
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पत्थर क्या नींद से भी
ज्यादा पारदर्शी होता है
कि और भी साफ दिख जाता है
उस में भी अपना सपना
तुम जिसे उकेरने लगते हो-
आशिष पुरोहित
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