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रूमाल / रघुवीर सहाय
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20:40, 18 दिसम्बर 2011
वह मेरा रूमाल कहाँ है ?
कहाँ रह गया ?
कहीं उसे मैं छोड़ न आया
हू
हूँ
कुर्सी पर ? वह कितना
मैला था
उस से
मैम्ने
मैंने
जूता नाक पसीना और क़लम की निब
पोछी थी ।
</poem>
अनिल जनविजय
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