Changes

२८ अगस्त ’७१ / रमेश रंजक

3 bytes added, 20:29, 24 दिसम्बर 2011
याद कर के सो लिया
ब्द शब्द जो उगले गए थे
वे पुराने भरे मन के थे
आँच-सी सुलगा गए जो बदन में
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits