Changes

माता चुप हो बैठ जा बेटा बोले बोल,
बूढ़ा-बूढ़ी हो गई नहीं मेरे घर पोल।
नहीं मेरे धर घर पोल पडी या दुनियां सारी,
गारी देने लगी और बेटा की नारी।
कौन सुने किससे कहें कुंवें पडगी भंागभांग,
शिवदीन उघाड्या लाजसी कोई सी भी जांघ।
राम गुण गायरे।
</poem>
514
edits