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अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इंसान के बस का काम नहीं / जिगर मुरादाबादी
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15:04, 22 फ़रवरी 2012
तू फ़िक्रो-नज़र <ref>चिंतन और परख</ref>तो पैदाकर, क्या चीज़ है जो इनआम<ref>पुरस्कार<ref> नहीं
यारब ये मुकामे-इश्क़ है क्या गो दीदा-ओ-दिल<ref>आँखें और दिल </ref> नाकाम नहीं
तस्कीन<ref>चैन</ref> है और तस्कीन नहीं आराम है और आराम नहीं
द्विजेन्द्र द्विज
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