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ज़िन्दगी तनहा सफ़र की रात है / जाँ निसार अख़्तर
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17:54, 16 मार्च 2012
'ज़िंदगी तनहा सफ़र की रात है अपने–अपने हौसले की बात ...' के साथ नया पन्ना बनाया
ज़िंदगी तनहा सफ़र की रात है
अपने–अपने हौसले की बात है
किस अकीदे की दुहाई दीजिए
हर अकीदा आज बेऔकात है
क्या पता पहुँचेंगे कब मंजिल तलक
घटते-बढ़ते फ़ासले का साथ है
अकीदा = श्रद्धा
बेऔकात = प्रतिष्ठाहीन
Anupama Mishra
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