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|संग्रह=
}}
<poem>इस तरह हर ग़म भुलाया कीजिये <br>कीजि रोज़ मैख़ाने में आया कीजिये <br><br>
छोड़ भी दीजिये तकल्लुफ़ शेख़ जी <br>जब भी आयें पी के जाया कीजिये <br><br>
ज़िंदगी भर फिर न उतेरेगा नशा <br>इन शराबों में नहाया कीजिये <br><br>
ऐ हसीनों ये गुज़ारिश है मेरी <br>अपने हाथों से पिलाया कीजिये <br><br>
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